" वोह कहते ना मुँह से कुछ बोलना हो तो ,
सही समय देखकर बोलना चाहिए ,
यदि गलत समय पर हम कुछ भी गलत बोल देते है तो ,
उसका परिणाम और उसका असर बहुत चुभता है ,
और नजाने हमारा दिमाग हमसे क्या करवा लेता है। "
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नमस्कार मित्रो ,
हम आपके लिए फिर नयी कहानी लेकर आये है। जिसे सुनकर ओह सॉरी ,पढ़कर आपकी आँखों से आंसू निकल आएंगे।
तो ये कहानी है एक सास और बहु की जो अक्सर कोई न कोई कारणो से आपस में जगडा किया करते थे। कहते है सास और बहु के जगडे घर घर में बहुत प्रख्यात है , लेकिन जिस जगडे कारण इस घर में जो सासुमा साथ हुआ वो काफी रुलाने लायक था। क्युकी हर सास बहु के जगडो में लड़ाई और रोना धोना होता है लेकिन ये वाली कहानी काफी अलग है।
तो चलिए फिर शरू करते है ,
द्रश्य क्रम १
हर बार की तरह कुछ खानेका या खिलवाने का आमंत्रण लेकर इनके घर में सासुमां के भाई यानिकि दादाजी इस घर में सभी को उनके घर पर खाने का न्योता देकर जाते है ,घर में हाजिर सभी व्यक्तिओ को उनके घर खाने के लीयते आना है ऐसा कहकर चले गए।
और क्या फिर अगले दिन सारा परिवार उनके दादाजी के घर पर चला जाता है लेकिन घर का एक सदस्य वहा पर हाजिर नहीं था वोह था उनका बेटा वोह गया था बहार उसके दोस्त के साथ कुछ ख़ास कार्यक्रम के कारण जिससे कारण वोह नहीं आ सका था।
अब कहानी का मोड़ यहाँ से एकदम से बदल सा जाता है बस पढ़ते रहिये। तो होता कुछ है की सभी लोग दादाजी के घर पहुँच जाते है। ख़ासकर बहुरानी और सासुमाजी पहले पहुंच जाते है क्यूंकि सभी महेमान के लिए खाना बनाना होता है इसलिए। रात को आठ बजे सभी महेमानो के लिए खाना तैयार हो जाता है और तभी....,
द्रश्य क्रम ३
अचानक ही सासुमाजी एक महेमान जब वह आये तब खाने का आग्रह करती है की तभी उनकि यह बात सुनकर गुस्स्स आ जाता है। पर गुस्सा आने का कारण बहुराणीजी को यह था कि , दादाजी की बेटी की सासुमजी डॉयबिटीज के मरीज होने के कारण वह सुबह के दो बजह से वहां उनके घर पर आये हुए थे।
तो अब क्या था बहुरानीजी को उपाय सुजा की कैसे वह उनकी इस गलती का फायदा उठाकर उनके बेटे से उनको डांट सुनवाती है। बहुरानी जी तोह सासुमजी के पहले खाना खाकर घर आ गयी और बहुरानी जी के पतिदेव भी पहले से ही घर पर आ गए थे क्यूंकि उनका भाई का बेटा बहार गया हुआ था, तो वह उनके घर आने की राह में जल्दी घर आ गए।
और फिर क्या ? बहुरानी जी घर आ गयी और फिर क्या उन्होंने तो तुरंत उनको उनकी सास की गलती की फ़रियाद अपने पतिदेव जी करदी। पतिदेव जी ये सब बात सुनकर बहुत गुस्सा हो गए। और उसके बाद.... ,
द्रश्य क्रम ४
उसके बाद पतिदेवजी ने अपनी पत्नी की बातो में आकर उनको बहुत डांटा लेकिन कैसे भी करके दादी जी ने उनके बेटे की दांट का कैसे भी करके उनका प्रत्युत्तर देकर उनकी दांट से बच निकले। लेकिन बहुरानी जी को अपने पतिदेवजी की बातो कोई असर ना दिखने अपर वो रात को अपने पति को सोते वक़्त उनको ताना मारती है।
जिससे की पतिदेव जी ज्यादा गुस्से में आ जाते है और सुबह उठकर सबसे पहले तो बड़े भाई के काम पर जाने के बाद वह सासुमा यानिकि उनकी खुद की माताजी को बहुत सलाह सूचना से डांट सुनाता है जिसके कारण सासुमा जी को नहुत दुःख होता है।
और वह ये सब सुनकर बहुत ही दुखी हो जाती है ,और मन ही मन में रोने लगती है।
अगले दिन सासु माँ जी अपने बेटे की कुछ ज्यादा ही डांट पड़ने के कारण वोह मन ही मन में रो थी जिससे की वह अपनी बहुरानी से बहुत दुखी हो चुकी थी और अपने बेटे की डांट के कारण उन्होंने खुद को मारने की सोचली।
घर में चूहा मरनेवाली दवा पड़ी थी उन्होंने उसे अपने चाय बनाई थी उसमे चूहे मरने वाली दवाई डालकर रसोड़े में मंदिर है उसमे भगवान् के सामने हस्ते हस्ते यह कहते हुए की " प्रभु अब मेरे घर को मेरी जरूरत नहीं है , मुझे आप अपनी चरण में बुलालो ये मेरी आपसे प्राथना है। मेरी प्राथना स्वीकार करना प्रभु। " बस इतना बोलकर मुँह पर हसी लाकर उन्होंने चूहे मरने वाली दवाई को चाय में मिलकर हस्ते हुए मंदिर में खड़े भगवान् के सामने पीली। और थोड़ी ही देर में उनके गले में जयादा दर्द होने लगा और वह सासुमजी की मंदिर के निचे ही उनकी मृत्यु हो गयी।
image by google serach library.यह सब अचानक देखकर बहुरानी जी को अचानक बहुत बड़ा जतका लगा ,उसने काम पर गए हुए अपने पतिदेव और उनके बड़े भाई को फ़ोन लगाकर घर आने को कहा और अपनी सासुमजी के देहांत खबर दी। यह सुनकर छोटे भाई यानी की पतिदेव को बड़ा जतका लगा और मन ही मन में खुद को दोष देने लगा ये सब मेरी वजह से हुआ है, यदि वह अपनी दादी माँ को नहीं डांटता तो ये सब नहीं होता।
अगले दिन परिवार के सभी सदस्य और उनके महेमान सदस्य सभी उनके देहांत और अंतिम संस्कार में हाजिर रहे थे। लेकिन जब माताजी के शरीर को जब अग्निदहन देना था तब उनके बड़े बेटे और छोटे बेटे ने उनके पीछे प्रदक्षिणा लगाई और सबसे अंत में जब माताजी को अग्निदहन करना था तब दूर खड़ी बहुरानी उनके अंतिम संस्कार को देख रही थी और से अपनी गलती का एहसास हो रहा था।
जब उसकी सासूमाजी का दहन समाप्त हो गया तब सभी सदस्य चले गए लेकिन वह पर सिर्फ बहुरानीजी खड़ी थी और उनके शरीर की राख को अपने हाथो में लेकर रो रही थी,और तभी उसे अपनी सबसे बड़ी भूल का पछतावा होता है।
लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था जब बड़ी भूल हो गयी , समज में भी तब आया जब मालूम हुआ की गलती खुद की है ,यह बात बहुरानी जी को मन में बहुत सताने लगी थी। और जब वह अब खुद को बदल ने की कोशिश करती है तो , उनके पतिदेव जी उनसे कभी भी आँख नहीं मिलाते और बड़े भाई जो उन्हें बड़ी बहन का सम्मान देते थे वह भी अब उनसे आँख नहीं मिलाते थे। यह सब देखकर और महसूस करनेके बाद पता चलता है की जब वह अपनी सासु माँ को सताया करती थी तो उन्हें कितना दर्द होता होगा , और इस तरह से कहानी भी यहाँ खतम हो जाती है।
👌धन्यवाद 👏










टिप्पणियाँ
i like it .
and after they story read feel li,e touch
on my heart.
keep it up for best.
On the story writing.
I really liled.