Opening Scene
ख़ास सूचना : इस कहानी में लिए और लिखे गए पत्रों के नाम केवल काल्पनिक है ,
तोह इसे बस पढ़ने का आनंद उठाईये।
तो द्रश्य कुछ ऐसा है क,
ये कहानी एक लड़के और लड़की दोनों की है और साथ में कुछ दोस्तों की भी। तो
अभिषेक और इशिका नामक दोनों लड़के लड़की एक अलग अलग शाळा में पढ़ा हुआ करते थे।
दोनों के दोनों आठवी कक्षा में पढ़ते थे।
उस वक़्त अभिषेक बस थोडासा नहीं लेकिन बहुत कमजोर हुआ करता था, लेकिन इशिका
अभिषेक के मामले में ज्यादा ही होशियार ,समझदार ,चालाक और मनोवैज्ञानिक रूप से
भी बहुत होशियार थी।
मुझे पता है की आपको ये सब जानने में कोई दिलचश्पी नहीं है आप लोग बस उत्सुक
और यह विडम्बना में है की ये दोनों यदि अलग अलग शाळा में पढते थे तोह इन दोनो
का मिलना कैसे हुआ......,और वह भी कैसे। ..?
जरा धैर्य रखिये बताता हूँ ये सब कैसे हुआ ? आखिर ये दोनों का मिलना कैसे हुआ
अस्मभव से संभव !!
Story on the WAY
अभिषेक के घर जाने से पहले इशिका के घर पे एक मैडम आये थे अपने कोई फ़ालतू
ट्यूशन क्लासिस में एडमिशन दिलवाने के लिए जहाँ पे वह लोग सभी विद्यार्थीओ को
कंप्यूटर नॉलेज के नाम पे स्टूडेंट को बस सिखाने वाले होते है की , कंप्यूटर
में वर्डपैड ,पेंट और एक्सेल जैसे सॉफ्टवेयर को कैसे उसे करना होता है,और साथ
ही इंग्लिश में ग्रामर का नॉलेज कैसे ठीक किया जाये वह सिखाने वाले होते
है।
इशिका ने तोह अपना फॉर्म भर दिया लेकिन ठीक उसके अगले ही दिन अभिषेक के घर पे
भी वही मैडम आयी हुई थी जो एक दिन पहले इशिका के घर गए हुए थे। वह कहेते है ना
जब भी दो ऐसे लोगो का मिलना तय होता तब मुसीबत भी कोई कसर नहीं
छोड़ती।
शरुआत के कुछ २ महीनो तक तो इशिका और अभिषेक नहीं मिल पाए क्यूंकि इशिका का
जोइनिंग टाइम अलग था और अभिषेक का भी अलग ही था।
इशिका से पहले अभिषेक को भी एक दोस्त मिला जो बिलकुल निडर था और एकदम बेखौफ और आप
तो जानते ही हो की मर्द तब ही अपना सीना चौड़ा करता और आकर्षित होता है जब वह मतलब
अभिषेक अपने से किसी निडर से मिलता है , दरअसल ये बिमारी सब में होती है। और ये
बिमारी अच्छी भी है और बुरी भी है।
Credits of the Story Point
ये में पहले ही बाटादू की आपको इस कहानी में सबसे मुख्य जो कार्य करते और
निभाते हुए दिखेंगे वह सिर्फ अभिषेक ही है, मेरी यह बात सुनकर आप जरूर हैरान हो
चुके होंगे लेकिन अभिसके और इशिका के साथ होने वाला है उसे पढ़कर भी आप हैरान हो
जाओगे शायद।
Now Story Time For BOOM
अभिषेक का जीवन बिता है जैसे किसी माध्यम वर्गीय परिवार के लड़को का जीवन जैसे
बीता हो। और वैसा ही जीवन इशिका का भी बिता है।
तो जिस वक़्त अभिषेक और इशिका आठवीं कक्षा में पढ़ते थे ,तब अभिषेक का एक मित्र
हुआ करता था जो उनके ही विस्तार में ही थी। और वही शाला में उसी वक्त उसके
दोस्त के स्कूल में भी वार्षिक परीक्षा शरू हो गयी और समय के लाभ के कारण दोनों
स्कूल के समय अलग अलग रहे थे। जिसके कारन उन्हें वो करने का सुजा जिससे सब
बदलने वाला था और कुछ बाते बिखरने भी वाली थी।
अभिषेक और उनके दोस्त ने मिलकर ये सोचा की वह सिर्फ अपने लिए ही उसके स्कूल से पेपर चुरा के लेकर आएगा क्यूंकि उस वक्त ज्यादतर स्कूल वाले पेपर विद्यार्थीओ को ही दे देते थे। और इसी बात का फायदा अभिषेक और उसके दोस्त ने मिलकर किया जो उनके नजदीकी मार्ग में ही थी। लेकिन वोह कहते है न मुसीबत तभी तुम्हारा पीछा करती है जब तुम कुछ करना चाहो वोह तो सिर्फ अपने लिए। ठीक ऐसा ही हुआ। उसने सोचा था की वह कुछ कर दिखायेगा परीक्षा में पेपर चोरी करके पास हो जाएगा और भी अच्छे मार्क्स से लेकिन किस्मत ऐसा खेल रच दिया की सब पलट गया।
दरअसल अभिषेक अकेला ये सब करने में असमर्थ रहा क्युकी उससे पहले यह बात उसके क्लास में पता चल गयी थी जिसके कारन उसे कुछ लाभ नहीं मिला। जानने को तोह मिला लेकिन सिर्फ दो चार मार्क्स के सवाल जवाब ही उससे ज्यादा कुछ नहीं। और बादमे अभिषेक ने जैसे तैसे उनसे धीरे धीरे बचने का सोच लिया।
क्यूंकि पेपर हर वक्त लंच टाइम के दौरान ही फोड़े जाते थे , और पेपर फोड़ने का सिलसिला और उसका फायदा सिर्फ कुछ पांच दिनों तक ही मिला। छठे दिन संस्कृत से टीचर ने हमें पकड़ लिया पेपर फोड़ते हुए, लेकिन हमारा दोस्त नहीं पकड़ा गया यह सबसे अच्छी बात थी पेपर मिला भी तोह वह भी कुरकुरे के पैकेट में से।
सबसे पहले आये हमारे स्कूल के प्रिन्सिपाल सर उन्होंने अभिषेक को छोड़ कर सभी विद्यार्थीओ के सामने देखते हुए कहा की ," ऐसे पास हो जाओगे तुम लोग।...! ऐसे यदि पास भी हो गए तोह कुछ भी नहीं कर पाओगे। ये पढ़ाई लिखाई क्यों करवाई जाती है तुमसे। मतलब ये सारी मेहनत पर पानी फिर गया ना। "
बाद में आया ज्ञान बाटने के लिए , भिंडी मास्टर , उसको अभिषेक के क्लास वाले सभी उसे यही नाम से बुलाते थे। उसने भी आकर सभी विद्यार्थीओ को ज्ञान दिया की ," ले लिए ना मजे पांच दिनों तक, तभी में सोचु की इन सबको इतने मार्क्स कैसे मिल रहे है। ,अब किसी को भी मार्क्स नहीं मिलेंगे। " साला वह भिंडी मास्टर सलाह तो ऐसे देता था जैसे स्कूल उसके ही बाप की हो।
बाद में एक के बाद एक सभी आते गए और जाते गए और अपने मुँह से बेफालतू की सलाह देते गए। लेकिन अभिषेक तो उसकी महिलामित्र इशिका के खालो में डूबा हुआ था और बस यही अभिषेक गलती कर बैठा। जब उनके सभी क्लास के मित्र एक दम गुस्से से भरे हुए थे तब उनके क्लास में तीन त्रिमूर्ति हुआ करते थे ,जो अक्सर किसीना किसी की तोह उनकी कमजोरी का उपयोग करके उनके साथ दिमागी खेल खेला करते थे।
" आपको बस यह सलाह है ऐसे त्रिमूर्ति दोस्त आपके भी पास हो तो आप उनसे सावधान रहिये। "
उन लोगो को तब तक कुछ पता ही नहीं था की जब तक की अभिषेक उनसे कुछ बाते भी करता , जब भी हमारे दोस्त ,करीबी रिश्तेदार या फिर कोई भी आपसे ये सवाल पूछता है की , " कोई सेटिंग वेटिंग है क्या तुम्हारे पास !"
उस वक्त के लिए में आपको बस इतना काना चाहूँगा की बस जो दिल कहे वोह मत सुनाओ जो दिमाग कहलाना चाहे वो कहदो। समजदार को इशारा काफी है।
लेकिन जैसा जिंदगी में हर कोई करता है भूल ,वही गलती की अभीशेक ने करके भूल।
उन त्रिमुर्तिओ ने अभिषेक के बारे में जो भी उसके बारे में पता चला वह सब उसके क्लास में बता दिया जिसके कारन अभिषेक में बोलने की क्षमता एकदम से बहुत कम हो गयी जिसके कारण वह ना किसी के गालियों का जवाब देता और नाही किसी के भी बुलाने पर भी कोई उत्तर देता।
अभिषेक अब इतना उदास और गुस्सा हो चुका था की उसे अब कुछ सूज नहीं रहा था की वह करे तो क्या करें।
तभी अभिषेक उसके वह फ़ालतू अंग्रेज़ी ग्रामर क्लासिस माँ जा करता था वहां पे इशिका भी आती थी लेकिन उनका बैच टाइम अलग था जिसके कारण वह ज्यादा नहीं मिल पाते थे। वैसे अभिषेक इशिका से प्यार व्यार नहीं करता था उस उम्र में बस केवल मित्रता तक ही बात सिमित रहती थी।
लेकिन अभिषेक को इशिका के साथ बाते करने से ऐसा वहां आने लगा था की इशिका सिर्फ उसके साथ ही बात करती हो। और बाद में वही हुआ जो होने वाला था। अभिषेक ने अपने जीवन में खुद के लिए मुसीबत की दिवार खुद ही खड़ी कर डाली और बाद में जो उसके हुआ वह काफी चौंकाने वाली घटना और कहानी थी जिसके लिए आपको EBEG S1 B3 : Pad Gayi Bhaari Musibat ki Diwaar , ब्लॉग कहानी के लिए आपको इंतजार करना होगा....|










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